5 movies that will teach you how to live life : ज़िंदगी एक खूबसूरत सफर है, पर कभी-कभी रास्ते में उलझनें भी आती हैं. ऐसी ही उलझनों में हमें रास्ता दिखाने के लिए सिनेमा एक बेहतरीन ज़रिया बन सकता है. कई फिल्में ऐसी हैं, जो न सिर्फ मनोरंजन करती हैं, बल्कि ज़िंदगी जीने के अनमोल सबक भी सिखाती हैं.
- 5 movies that will teach you how to live life | 5 फिल्में जो आपको जिंदगी जीना सिखाएंगी :
- 3 इडियट्स (2009)
- तारे ज़मीन पर (2007)
- लंचबॉक्स (2013)
- दंगल (2016)
- ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा (2011)
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आज हम ऐसी ही 5 फिल्मों के बारे में बात करेंगे, जो आपको ज़िंदगी को एक नए नज़रिए से देखने की प्रेरणा देंगी:
- 3 इडियट्स (2009)
- तारे जमीन पर (2007)
- लंचबॉक्स (2013)
- दंगल (2016)
- ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा (2011)
5 movies that will teach you how to live life | 5 फिल्में जो आपको जिंदगी जीना सिखाएंगी :
3 इडियट्स (2009)
राजकुमार हिरानी की ये कॉमेडी फिल्म इंजीनियरिंग के कॉलेज और रटने की पद्धति पर कटाक्ष करती है, लेकिन साथ ही ये दोस्ती, जुनून और सपनों को पूरा करने की ताकत का महत्व भी उजागर करती है. फिल्म ये सिखाती है कि सफलता के लिए सिर्फ डिग्रियां मायने नहीं रखती, बल्कि जुनून और लगन भी बेहद जरूरी है. हमें अपने दिल की सुननी चाहिए और समाज के बनाए हुए रास्तों पर चलने के बजाय अपनी मंजिल खुद तय करनी चाहिए.
तारे ज़मीन पर (2007)
अमोल गुप्ता की ये दिल को छू लेने वाली फिल्म डिस्लेक्सिया से ग्रस्त एक बच्चे की कहानी है. फिल्म ये सिखाती है कि हर बच्चा खास होता है और उसकी अपनी प्रतिभा होती है. हमें हर बच्चे को उसकी अलग-अलग क्षमताओं के हिसाब से समझने और उसका साथ देने की जरूरत है. तारे ज़मीन पर ये भी बताती है कि शिक्षा का असली मकसद सिर्फ किताबों का ज्ञान भरना नहीं होता, बल्कि बच्चों को सोचना, समझना और रचनात्मक बनना सिखाना भी होता है.
लंचबॉक्स (2013)
यह फिल्म मुंबई की एक व्यस्त लोकल ट्रेन में गलती से बदले हुए लंचबॉक्स के जरिए दो अकेले लोगों के बीच पनपने वाले अनोखे रिश्ते की कहानी है। फिल्म हमें सिखाती है कि जिंदगी में जुड़ाव सिर्फ उम्र या सामाजिक रुतबे से नहीं होते, बल्कि दिलों के मिलने से होते हैं। यह फिल्म हमें यह भी याद दिलाती है कि हर किसी की जिंदगी में एक कहानी होती है और हमें दूसरों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है।
दंगल (2016)
निर्देशक नितेश तिवारी की ये स्पोर्ट्स बायोपिक फिल्म बेटियों की शिक्षा और उनके सपनों को पूरा करने के महत्व पर जोर देती है. फिल्म पहलवान महावीर फोगट और उनकी बेटियों गीता और बबीता फोगट की कहानी है, जिन्होंने कुश्ती के क्षेत्र में पुरुष प्रधान समाज में अपना नाम कमाया. दंगल ये सिखाती है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में कम नहीं होती हैं और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का पूरा हक है.
ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा (2011)
ज़ोया अख़्तर की “ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा” तीन दोस्तों की कहानी है, जो ज़िंदगी की भागदौड़ में अपने सपनों को भूल जाते हैं. एक ज़रूरी ट्रिप पर निकलकर वो ज़िंदगी को नए सिरे से देखना सीखते हैं. ये फिल्म ये सिखाती है कि ज़िंदगी को सिर्फ़ काम करके नहीं जिया जाता, बल्कि घूमने-फिरने, नए अनुभव लेने और ज़िंदगी के छोटे-छोटे लम्हों का आनंद लेने के लिए भी समय निकालना ज़रूरी है. ये हमें ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने और अपने डर को दूर करने की प्रेरणा देती है.
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ये पांच फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करतीं, बल्कि हमें जिंदगी के कई महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं. इन्हें देखकर हम सीखते हैं कि हार ना मानना, अपने जुनून को دنبال करना, दूसरों की मदद करना और अपने देश के लिए कुछ करना कितना जरूरी है. तो अगर आप जिंदगी को एक नए

